सच की कलम से, सुनने में तो अच्छा लगता है, पर क्या कलम सच बोलती है?
जरा सोचिए और बताइए क्या सच में कलम सच बोलती है? आज कल तो कलम वही लिखती है जो उससे लिखवाया जाता है। और वो ही लिखती है जिससे उसको लिखवाने वाले को कुछ फायदा होता है।
क्यों मैं सच कह रहा हूँ ना?
अगर हाँ तो अपने विचार मेरे साथ शेयर जरूर करें। क्योंकि इस मुद्दे पर आपकी छोटी सी टिप्णी बहुत गहरा प्रभाव दाल सकती है। विश्वास कीजिए।
कलम बैचारी कुर्सी की मारी। शायद ये मोहावरा तो आपने सुना ही होगा। हाँ थोड़ा सा हटके जरूर है पर करता तो कलम की मजबूरी को ब्यान ही है ना।
आप को नहीं लगता के कलम अब ग़लत हाथों में है ? अगर आप मेरे सवालों से इत्तेफ़ाक़ रखतें हैं या आप कुछ रौशनी डालना चाहते हैं तो अपने विचार जरूर शेयर करें।
आपका अपना क्रिएटिव राईटर,
महेन्दर पॉल वर्मा
एडमिन
रियल हिंदी स्टोरीज
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