Skip to main content

Self Respect vs Ego

Self Respect vs Ego

क्या आप इन दोनों शब्दों में कोई अंतर बता सकते हैं ?
शायद नहीं। 
क्योंकि ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलु हैं। 
दोस्तों, यह एक सच्ची कहानी है। इसलिए आप से निवेदन है कि अपने अपने विचार जरूर शेयर करें। 

Comments

Popular posts from this blog

बदलते रिश्ते - The Changing Relations

बदलते रिश्ते -  एक कड़वा सच जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगा। जी हाँ, यह  सिर्फ मेरी नहीं बल्कि हम सब की है।  और जहाँ तक मेरा ख्याल है, ऐसा सिर्फ भारत में ही होता है।  क्या कभी आपने सोचा है कि आपके परिवार वाले भी आपके खिलाफ साज़िश कर सकते है।  मैं दावे के साथ कह सकता हूँ के नहीं।  पर यह सब सच है - एक कड़वा सच जो आपकी ज़िन्दगी बदल देगा और सोचने पर मज़बूर कर देगा कि क्या यही ज़िन्दगी है।  मैं हर वख्त दूसरों के बारे में ही सोचता रहा और अपनी ज़िन्दगी बर्बाद कर ली। पर सब यही कहते हैं की तूने किया है।  लोग दूसरों का दिमाग तो पढ़ लेते हैं पर मेरा दिल कोई नहीं पढ़ पाया।  अब तो मेरा दिल बस यही कहता है कि :- पंछिओं को आसमान से गिरते देखा है, अपनों के हाथों से अपनों को गिराते देखा है।  *-*-* लोग बेदर्द है जो अपने दिमाग से सोचते हैं, उम्र गुज़ार दी दिल से सोचते - सोचते, पर अफ़सोस,  मेने अपने रिश्तों को फिर भी बदलते देखा है।   *-*-* क्या ये ही ज़िन्दगी है,...

सच की कलम से - By the Pen of Truth

सच की कलम से , सुनने में तो अच्छा लगता है, पर  क्या कलम सच बोलती है? जरा सोचिए और बताइए क्या सच में कलम सच बोलती है?  आज कल तो कलम वही लिखती है जो उससे लिखवाया जाता है। और वो ही लिखती है जिससे उसको लिखवाने वाले को कुछ फायदा होता है।  क्यों मैं सच कह रहा हूँ ना? अगर हाँ तो अपने विचार मेरे साथ शेयर जरूर करें।  क्योंकि इस मुद्दे पर आपकी छोटी सी टिप्णी बहुत गहरा प्रभाव दाल सकती है। विश्वास कीजिए।  कलम बैचारी कुर्सी की मारी। शायद ये मोहावरा तो आपने सुना ही होगा। हाँ थोड़ा सा हटके जरूर है पर करता तो कलम की मजबूरी को ब्यान ही है ना।  आप को नहीं लगता के कलम अब ग़लत  हाथों में है ?  अगर आप मेरे सवालों से इत्तेफ़ाक़ रखतें हैं या आप कुछ रौशनी डालना चाहते हैं तो अपने विचार जरूर शेयर करें।  आपका अपना क्रिएटिव राईटर, महेन्दर पॉल वर्मा  एडमिन  रियल हिंदी स्टोरीज