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Welcome Post on Real Stories in Hindi

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मैं आपका स्वागत करता हूँ अपने इस रियल हिंदी स्टोरी ब्लॉग पर।

क्या आप जानते है कि हिंदी भारत की एक बहुत ही लोकप्रिय भाषा है?


अगर हाँ,


तो बताइए कि इंग्लिश के शब्द HINDI का स्वर हिंदी में एक समान क्यों है?


मैं ये आप लोगों पर छोड़ता हूँ  और आशा करता हूँ के आप इसका अंतर जानते होंगे। अगर आप नहीं जानते तो इसका अंतर जानने के लिए कृपया कमेंट में लिखिए।


इस ब्लॉग को शुरू करने का कारण यह है कि मैं इंग्लिश भाषा में निपुण नहीं हूँ , फिर भी मैं 15 से ज्यादा ब्लॉग्स पर लिख रहा हू,


और मेरे ज़हन में बहुत सी बातें हैं जो खुल कर लिखनी पड़ती है, पर मैं इंग्लिश में नहीं लिख पाता।


मैं आपको विशवास दिलाता हूँ कि मेरी यह कहानिया कुछ सच्ची और कुछ काल्पनिक हैं जो कि  आप को पसंद आएंगी।


कृपया अपने सुझाव अवश्य लिखें।


महेंदर पॉल वर्मा 
एडमिन 
रियल हिंदी स्टोरी 

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दोस्तो, आज मैं आपको एक अपनी लिखी हुई कविता से रूबरू करवाता हूँ।  यह कविता मेने साल नवम्बर 14, 2000 में लिखी थी।  उस दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म दिन था और संयोगवश दिपावली भी उस दिन थी। और उस रात मैं अपने घर की छत पर बैठ कर जगमगाती रौशनी का लुत्फ़ उठा रहा था कि  मेरा मन कुछ उदास था उसदिन। अचानक मुझे यह कविता सूझी।   मेरी कविता का शीर्षक है " रौशनी " जग मग - जग मग जुगनू  जैसी।  चाँद की हो रौशनी।। रंग - बिरंगे फूलोँ जैसी। तारों की हो रौशनी।। मन को भाए - सब  को भाए।  किन दीपों की हो रौशनी।। कभी तो हसाए - कभी तो रुलाए।  जाने कैसी हो तुम रौशनी ।। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी तो कृपया अपने विचार लिखें। 

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ज़िन्दगी की विदाई - सुनने में तो साधारण सा वाक्य लगता है।  पर ज़रा ग़ौर से पढ़िए और सोचिए, इस लाइन के मायने  ही बदल जायेंगे।  क्या कभी आपने ज़िन्दगी को अलविदा कहा है ? अगर हाँ, तो बताइए कि आपको उस वख़्त  कैसा महसूस हुआ ? ज़िन्दगी की विदाई उस वख़्त हो जाती है जब किसी के दिल में किसी के लिए हमदर्दी, करुणा, प्यार और दया का भाव ख़त्म हो जाता है। और सच बात ये है कि आज कल हर कोई सिर्फ आप के बारे में ही सोचता है।  हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी हर ख्वाहिश पूरी होनी चाहिए। दूसरों को इससे क्या नुक्सान होगा, इसकी किसे परवाह।  ऐसे लोगों में मैं भी आता हूँ और शायद आप सब भी।  क्या मैं कोई ग़लत  कह रहा हूँ ? असल मायने में तो ज़िन्दगी की विदाई हो चुकी है और हम सबको इसे बस अलविदा ही कहना है।  मैं तो ज़िन्दगी को अलविदा कह चुका अब देखना ये है की ज़िन्दगी मुझे कब अलविदा कहती है या मेरी ज़िन्दगी की विदाई कब है।  दोस्तो, ज़िन्दगी को ले कर ये है मेरी सोच, और आपकी सोच क्या है? क्या आप भी ज़िन्दगी को मेरे नज़रिए से ही देखते हैं ? आप अपने विचार दे सकते हैं।  महेन्दर पॉल वर्मा  एडमिन  रियल हिंदी स्टोर

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