Skip to main content

मुझे मेरी पत्नी ने मार डाला - My wife killed me

मुझे मेरी पत्नी ने मार डाला, एक  बहुत ही दुखी करने वाली सत्य घटना है।शायद आप ने भी कभी देखा या सुना होगा। 

क्या मैं ठीक कह रहा हूँ ?

मेरा एक दोस्त अपनी पत्नी के साथ रहता था पर दोनों में छोटी मोटी नोंक झोंक होती रहती थी, पर उन्होंने कभी भी एक दूसरे से ज्यादा देर तक दूर नहीं रहते थे। 

कुछ समय बाद मेरे दोस्त की पत्नी की नौकरी लग गयी। और मेरे दोस्त ने बहुत ख़ुशी मनाई।

पर उसको क्या पता था कि अब उसकी पत्नी उससे ज्यादा पैसों से प्यार करने लगी है।  बस अब तो रोज़ ही घर में लड़ाई - झगड़ा होने लगा। 

उसका एक कारण यह भी था कि मेरे दोस्त की नौकरी चली गयी पर फिर भी उसने हिम्मत नहीं हरी और अपना काम शुरू कर लिया।  पर किस्मत को जैसे यह भी मंज़ूर नहीं था और उसका काम बिलकुल ही बंद हो गया। 

अब तो बस उन दोनों में जैसे दराड़ सी पड़  गई हो।  बात बात पर मेरे दोस्त की पत्नी उसे कोसती रहती थी और मेरा दोस्त बस अपने आप में ही रहने लग गया था। 

उसकी पत्नी कहती कि तुमने इतने सालों में किया ही क्या है उसके लिए, इतने सालों में कुछ कमाया है क्या और मेरा दोस्त बस चुप हो जाता क्योंकि ये या तो वही जनता है या मैं क्योंकि वो मुझसे हर बात शेयर करता था। 

मेरे दोस्त ने जितना कमाया था वो सब तो उसकी पत्नी के इलाज में खर्च होता रहता था पर उसने कभी अपनी पत्नी को कुछ नहीं बताया।  बस पहली ग़लती यह थी मेरे दोस्त की। 

दूसरी गलती यह थी कि अपनी पत्नी की सारी कमाई पत्नी के नाम पे जमा करवाता रहा और कभी कुछ नहीं माँगा क्योंकि अगर कभी थोड़े बहुत रुपए मांगता तो भी उसकी पत्नी सुना देती। 

रोज़ - रोज़ के ताने सुनके मेरा दोस्त थक चूका था और वही  हुआ जिसका डर था। 

बेचारा करता क्या, बस चला गया किसी को बिना कुछ बताए। बिना कोई पैसे लिए, बिना कोई कपडे लिए। 

बस , जाने से एक दिन पहले मुझे  मिला था और कह  रहा था कि बस अब बर्दाश्त नहीं होता।  तो मेने उसे कहा कि हिम्मत मत हार सब ठीक हो जाएगा। उसने कहा कि कुछ ठीक नहीं होगा। 

मुझे मेरी पत्नी ने मार डाला  - My wife killed me

ये उसकी आखरी लाइन थी जो मेने उसकी भीगी आँखों और कांपती आवाज़ में सुनी थी।  बस वो दिन था जब मेने उसे आखरी बार देखा था। उसके परिवार का आगे क्या हुआ ये तो पता नहीं क्योंकि अब मेने भी वहां जाना छोड़ दिया था। 

ज़िन्दगी की गाड़ी तभी चलती है जब दोनों पहिए एक समान हों, नहीं तो गाड़ी का हाल मेरे दोस्त की ज़िन्दगी जैसा हो जाता है। 

अब अलविदा दोस्तों !!! फिर आऊंगा एक नई, सच्ची और अच्छी कहानी के साथ। 








Comments

Popular posts from this blog

रौशनी - The Light

दोस्तो, आज मैं आपको एक अपनी लिखी हुई कविता से रूबरू करवाता हूँ।  यह कविता मेने साल नवम्बर 14, 2000 में लिखी थी।  उस दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म दिन था और संयोगवश दिपावली भी उस दिन थी। और उस रात मैं अपने घर की छत पर बैठ कर जगमगाती रौशनी का लुत्फ़ उठा रहा था कि  मेरा मन कुछ उदास था उसदिन। अचानक मुझे यह कविता सूझी।   मेरी कविता का शीर्षक है " रौशनी " जग मग - जग मग जुगनू  जैसी।  चाँद की हो रौशनी।। रंग - बिरंगे फूलोँ जैसी। तारों की हो रौशनी।। मन को भाए - सब  को भाए।  किन दीपों की हो रौशनी।। कभी तो हसाए - कभी तो रुलाए।  जाने कैसी हो तुम रौशनी ।। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी तो कृपया अपने विचार लिखें। 

ज़िन्दगी की विदाई - Departure of Life

ज़िन्दगी की विदाई - सुनने में तो साधारण सा वाक्य लगता है।  पर ज़रा ग़ौर से पढ़िए और सोचिए, इस लाइन के मायने  ही बदल जायेंगे।  क्या कभी आपने ज़िन्दगी को अलविदा कहा है ? अगर हाँ, तो बताइए कि आपको उस वख़्त  कैसा महसूस हुआ ? ज़िन्दगी की विदाई उस वख़्त हो जाती है जब किसी के दिल में किसी के लिए हमदर्दी, करुणा, प्यार और दया का भाव ख़त्म हो जाता है। और सच बात ये है कि आज कल हर कोई सिर्फ आप के बारे में ही सोचता है।  हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी हर ख्वाहिश पूरी होनी चाहिए। दूसरों को इससे क्या नुक्सान होगा, इसकी किसे परवाह।  ऐसे लोगों में मैं भी आता हूँ और शायद आप सब भी।  क्या मैं कोई ग़लत  कह रहा हूँ ? असल मायने में तो ज़िन्दगी की विदाई हो चुकी है और हम सबको इसे बस अलविदा ही कहना है।  मैं तो ज़िन्दगी को अलविदा कह चुका अब देखना ये है की ज़िन्दगी मुझे कब अलविदा कहती है या मेरी ज़िन्दगी की विदाई कब है।  दोस्तो, ज़िन्दगी को ले कर ये है मेरी सोच, और आपकी सोच क्या है? क्या आप भी ज़िन्दगी को मेरे नज़रिए से ही देखते हैं ? आप अपने विचार दे सकते हैं।  महेन्दर पॉल वर्मा  एडमिन  रियल हिंदी स्टोर

नन्ही परी - Little Fairy

दोस्तो, क्या आपने किसी परी से मुलाकात की है ?  अगर आपका जवाब ना है तो कोई बात नहीं, मैं आपको एक नन्ही पारी के बारे में बताता हूँ।  घबराइये नहीं, ये एक छोटी सी पर मीठी सी याद है जो मैं आपके साथ शेयर कर रहा हूँ। जब से ये नन्ही परी मेरी जिन्दगी में आई है, तब से में अपने आप को परमात्मा का प्रशाद समझने लगा हूँ।  जबकि पहले मैं कभी इतना खुशकिस्मत नहीं था। मैंने उसके लिए कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं, ज़रा ग़ोर फरमाये। एक कली सी कोमल लड़की, काँटों और फूलों से डरती। *** बोलने से वो कभी ना डरती, छुप - छुप कर आहें थी भरती। *** नाम था उसका सीधा - साधा, सूरत में थी बिलकुल राधा। *** जब से मेने उसे पाया है, मैं इस संसार का सबसे खुशनसीब व्यक्ति बन गया हूँ।  दिन भर बस यही  सोचता और कहता हूँ :- मेरा दिन - मेरी रात भी नन्ही परी।  मेरा दिल - मेरी जान भी नन्ही पारी। मेरी गरिमा है मेरा गरूर।  मेरा अरमान भी है नन्ही परी। मेरी दुनिआ - मेरा जहां भी नन्ही परी। मेरी नन्ही परी ही मेरी बेटी और बेटा  है। मेरे लिए तो मेरी नन्ही परी ही  सब कुछ है।