कभी किसी ने अपने साये से बात की है ?
मैं अक्सर करता हूँ।
क्योंकि मेरा साया ही मेरी पहचान है।
मेरा साया ही मेरा दोस्त, रिश्तेदार है।
आज मैं सचमे अकेला हूँ।
क्या यही ज़िन्दगी है?
अगर हाँ तो नहीं चाहिए ऐसी ज़िन्दगी जो किसी को अपना न बना सकी। किसी को अपने ज़ख्म दिखला ना सकी।
बस अब बर्दाश्त नहीं होता।
ख़त्म कर दो इस खोखली ज़िन्दगी को।
कुछ देर अपने आप से बातें करके, मेरे अंदर से एक आवाज़ आई मेने सुना कि मेरा साया मुझसे बात कर रहा है और उसके सवालों ने मुझे झिंझोड़ कर रख दिया।
मेरे साये ने मझे रुकने को कहा और मुझसे पूछा:-
रुको,
ये तुम क्या कर रहे हो?
अपने आपको खत्म करने की सोच रहे हो।
क्या कोई है जो तुम्हारी ज़िन्दगी से ज्यादा प्यारा है?
क्या कोई है, जिसके बगैर तुम जी नहीं सकते?
मेने कहा हाँ - हाँ कोई है जो मेरे बगैर नहीं जी सकता और मैं भी उसके बगैर नहीं जी सकता। मेरी ज़िन्दगी तो उसके लिए ही है।
यह सुनकर मेरा साया ज़ोर से हंस पड़ा और मेरी आँखों से ओझल हो गया।
अब मैं भी यह सोच रहा हूँ कि मैं क्या करने जा रहा था। मेरी ज़िन्दगी तो मेरी है ही नहीं। क्योंकि मेरी ज़िन्दगी तो मेरी बेटी की अमानत है। इस्पे मेरा कोई हक़ नहीं है।
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दोस्तो, यह एक सच्ची कहानी है जो कि मेरे एक करीबी दोस्त की आप बीती घटना है। अब मेरा दोस्त बिलकुल ठीक है और अपनी बेटी के साथ ख़ुशी से जीवन जी रहा है।
कभी कभी ज़िन्दगी ऐसे भी दिन दिखला जाती है जिनकी हम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते। पर दोस्तों हमे कभी हिम्मत नहीं हरणी चाहिए।
अलविदा !!! फिर मिलेंगे एक और सच्ची और अच्छी कहानी के साथ।
आप अपने विचार जरूर लिखें।
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