"मैं शादी नहीं करुँगी।"
क्या कभी आप ने किसी 5 साल की लड़की को ये कहते हुए सुना है?
मैं यकीन के साथ के सकता हूँ कि नहीं।
ये लाइन मेरी बेटी गरिमा की है जो कि अभी सिर्फ 5 साल की है।
जब मेने पूछा कि शादी क्यों नहीं करनी तो उसने बडी ही मासूमियत से कहा कि मेरा आप के बिना मन नहीं लगेगा और मुझे आप दोनों (मम्मी) बिना नींद नहीं आती। तो मेने कहा कि कोई बात नहीं, हम दोनों भी तुम्हारे साथ चलेंगे। यह सुनकर गरिमा ने कहा कि क्या मेरे लिए गिफ्ट्स भी लाओगे।
मेने कहा हाँ और आँखों में आँसू आ गए और मेने उसे बाँहों लिया मनो वो आज ही विदा हो के जा रही हो। मैं खुशनसीब हूँ कि परमात्मा ने मुझे इतनी प्यारी बेटी दी है जो के बेटों से भी प्यारी है। सच में अगर मेरे हाथ में होता तो में उसे शादी के बाद कहीं नहीं जाने देता। पर दुनिआ का एहि दस्तूर है की लड़की को विदा करना पड़ता है।
गरिमा ने तो आसानी से दिया के वो शादी नहीं करवाएगी, पर उसी वख़्त मुझे अनचाहे, दर्द भरे शब्दों के जाल ने आ घेरा जो में आप के साथ शेयर हूँ:-
छोड़ बाबुल का घर,
देश पराए बेटी तुझे जाना होगा,
हम सबको रोता हुआ छोड़,
के बेटी तुझे जाना होगा
महक अपनी यहाँ पर बिखेर,
के बेटी तुझे जाना होगा
मुझे अच्छे से करने दे प्यार,
के बेटी तुझे जाना होगा
हमें अच्छे से करने दे प्यार,
के बेटी तुझे जाना होगा
छोड़ बाबुल का घर,
देश पराए बेटी तुझे जाना होगा
क्या कभी आप ने भी ऐसा महसूस किया है? अगर हाँ तो आप मेरे साथ अपने वो पल शेयर कर सकतें हैं।
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