बदलते रिश्ते - एक कड़वा सच जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगा।
जी हाँ, यह सिर्फ मेरी नहीं बल्कि हम सब की है। और जहाँ तक मेरा ख्याल है, ऐसा सिर्फ भारत में ही होता है।
क्या कभी आपने सोचा है कि आपके परिवार वाले भी आपके खिलाफ साज़िश कर सकते है। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ के नहीं।
पर यह सब सच है - एक कड़वा सच जो आपकी ज़िन्दगी बदल देगा और सोचने पर मज़बूर कर देगा कि क्या यही ज़िन्दगी है।
मैं हर वख्त दूसरों के बारे में ही सोचता रहा और अपनी ज़िन्दगी बर्बाद कर ली। पर सब यही कहते हैं की तूने किया है। लोग दूसरों का दिमाग तो पढ़ लेते हैं पर मेरा दिल कोई नहीं पढ़ पाया।
अब तो मेरा दिल बस यही कहता है कि :-
पंछिओं को आसमान से गिरते देखा है,
अपनों के हाथों से अपनों को गिराते देखा है।
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लोग बेदर्द है जो अपने दिमाग से सोचते हैं,
उम्र गुज़ार दी दिल से सोचते - सोचते,
पर अफ़सोस,
मेने अपने रिश्तों को फिर भी बदलते देखा है।
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क्या ये ही ज़िन्दगी है,
कि लोग एक पल में साथ छोड़ देते हैं,
बीच सफर में अपने हाथ छोड़ देते हैं,
ज़िंदगी का तो पता नहीं,
मेने मौत को साथ निभाते देखा है।
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उम्मीदों को पलते देखा है,
और सपनो को करवटें बदलते देखा है,
लोगों के साथ का तो पता नहीं,
मेने अपनों का हाथ छुट्टे देखा है।
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लोग श्मशान में भी बिना चप्लों के जाते हैं,
मेने मंदिर की सीढ़ियों पे चप्लों को देखा है।
दूसरों की लाशों को कंधों पर उठाते हैं,
मेने ज़िंदा इंसानों को ज़मीन पर गिराते देखा है।
दोस्तों, यह है मेरी कहानी सच्ची और कड़वी ज़िन्दगी। अगर आप के पास भी ऐसी कोई सच्ची यादें हैं तो जरूर शेयर कीजिये।
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